रिपोर्ट - शिवम् सविता
-5 साल की बेटी का शहरवासियों से आग्रह
-आपके दीपक से चमकेगा कुम्हार का घर
-प्रदूषण मुक्त पर्व के लिए अनोखी पहल
कानपुर-शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र में रहने वाली पांच साल की नव्या की सोच आम बच्चों से बिल्कुल भिन्न है। अपने बचपन के समय से ही हर समय देश, दुनिया में खोयी रहती है। सवाल करना और उसके जवाब मांगना लगभग उसकी दिनचर्या बन गयी है। उम्र में काफी छोटी होने के बाद भी सभी के बारे में जानकारी रखना उसकी हाबी में शुमार हो गया है। अबकी बार नव्या ने मां से पूछा कि लोग दीपावली में मोमबत्ती क्यों जलाते है। जबकि आप बताती है कि भगवान राम जब लंका से वापस आएं थे तो पूरे अयोध्या में घी के दीया जलाएं गये थे। बेटी के इस सवाल को सुनकर मां भी चकित रह गयी। उसने कहा कि अगर दीया नहीं जलांए जाते तो उनका क्या होता होगा जो इन दीये को बनाते है। क्योंकि उनके दीये तो बिकते नहीं होंगे और उनके घर पर भी कैसे दीवाली होती होगी। सवाल करने वाली भले ही पांच साल की नव्या थी लेकिन वास्तव में सवाल बहुत बडा था। सोचने की बात यह है कि वास्तविकता में उन कुम्हारों का क्या जिनके घर इन्हीं दीये के बल पर चलते थे। मां ने बेटी को समझाने का प्रयास किया और कहा कि अबकी बार आप घर पर दीपावली के दीया बनाओं और उसी की रोशनी में दीपावली का पर्व होगा। मां ने भले ही अपनी नव्या को समझाकर चुप कर दिया हो, लेकिन हकीकत यह है कि नव्या ने अपने कम उम्र में बडा सवाल देश के कुम्हारों के लिए खडा कर दिया है। जिसके बारे में सभी देश व प्रदेश वासियों को सोचने की जरूरत है। अगर हम आने वाले प्रकाश पर्व में मिट्टी का दीया जलाएं तो हो सकता है कि हम किसी गरीब कुम्हार के घर में भी दीवाली का पर्व करा सकें।
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