रिपोर्ट- शिवम सविता
कानपुर। भारत में शिक्षक दिवस सबसे पहले वर्ष 1962 में मनाया गया था. देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के तौर पर इस विशेष दिन को मनाया जाता है. कहा जाता है कि वे एक शिक्षक थे, जिन्होंने शिक्षा क्षेत्र में अपने 40 वर्ष दिए. उनका शिक्षा के क्षेत्र में काफी बड़ा योगदान रहा है. उनका जन्म 5 सितंबर को ही हुआ था. उप-राष्ट्रपति बनने के बाद सर्वप्रथम कुछ छात्रों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाना चाहा था. जिसे सुनते ही डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्म दिवस मनाने से अच्छा है देश भर में शिक्षक दिवस मनाया जाए, तो मुझे गर्व होगा. तब से ही आज तक हर वर्ष देश भर के विभिन्न कॅालेज, संस्थान, या स्कूलों में 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है.
इस दिन हम अपने आदर्शों को याद करते है. जिन्होंने हमें सही मार्ग पर चलना सिखाया, सही गलत की पहचान करवायी. हर व्यक्ति में कोई न कोई रोल मॉडल होता है या शिक्षक होता है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि व्यक्ति स्कूल कॉलेज से ही हो. ऐसे में शिक्षकों का सम्मान और धन्यवाद करने का दिन है टीचर्स डे. आमतौर पर इस दिन स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में नृत्य, संगीत, भाषण आदि विभिन्न तरह के मनोरंजन से भरपूर कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. हालांकि, कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण ये इस बार संभव नहीं है. लेकिन उसके जगह हम विभिन्न सोशल मीडिया प्लॉटफार्म या मैसे, वीडियो, ऑडियो कल, कोट्स आदि भेजकर उन्हें विश कर सकते हैं।
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