स्पेशल रिपोर्ट - शिवम् सविता
कानपुर. शहर को मैनचेस्टर ऑफ एशिया, क्रांतिकारियों की जननी के साथ ही धर्मिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनमें 500 से लेकर 2000 साल प्रतिष्ठित देवियों के मंदिर हैं। हर मंदिर का अपना अलग महत्व है। नवरात्र पर्व पर इन सभी मंदिरों में हजारों की तादाद में भक्त आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मान्यता है कि अपने दर पर आने वाले भक्तों को मां कभी खाली हाथ नहीं लौटाती, उनकी हर मुराद पूरी होती है। इस मंदिर में स्थापित मां की मूर्ति पर उनके यहां पर विराजने की कहानी कुछ खास है। यहां के प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर है मां बारादेवी का।
इसलिए पड़ा बारादेवी नाम
मां बारा देवी यह मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरों में शुमार है। शहर के जिस इलाके (दक्षिणी इलाके) यह मंदिर बना है, उस इलाके का नाम भी बारा देवी है। एएसआई के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मां दुर्गा के स्वरूप की मूर्ति करीब 17 सौ साल पुरानी है। मंदिर के पुजारी दीपक कुमार बताते हैं कि एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गईं और किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गईं। पत्थर बनी यही 12 बहनें कई सालों बाद बारा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गईं। नवरात्रि के मौके पर इस प्राचीन मंदिर में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
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