सुनील चतुर्वेदी
अयोध्या/ जहां एक ओर केंद्र सरकार व खेल मंत्री कई प्रकार के खेल गतिविधियों के माध्यम से महिला खिलाड़ियों को खेलों के प्रति आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के द्वारा बनाए गए नियमों व खिलाड़ियों की अनदेखी से खिलाड़ियों का खेल के प्रति रुझान भी कम होता नजर आ रहा है। यदि यही हाल रहा तो खिलाड़ी किसी भी हाल में खेलों से दूर होते चले जाएंगे। प्रत्येक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह खेलों के माध्यम से अपने देश को विश्व के शिखर पटल पर अंकित कराने के साथ-साथ अपने परिवार के जीविकोपार्जन मैं चयन उपरांत सहयोग करें। खिलाड़ियों के प्रति कोई ध्यान ना देने से खिलाड़ी धीरे-धीरे खेल से दूर होते जा रहे हैं और वह अपने जीविकोपार्जन के लिए तरह-तरह के तरीके ढूंढ रहे हैं सरकार खिलाड़ियों के हितार्थ कोई भी कदम उठाने के लिए नाकाम है। ऐसे तो उपेक्षा के शिकार कई खिलाड़ीयो का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है उसमें ही एक ताजा मामला आया है महिला खिलाड़ी जो मूल रूप से अयोध्या की रहने वाली है पूजा निषाद का जो8 बहनों में सबसे बड़ी है। यही नहीं खिलाड़ी ने अब तक 16 राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग किया है साथ ही ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल लाकर देश को गौरवान्वित कर चुकी है।लेकिन उसी महिला खिलाड़ी की आपबीती आज सुनने वाला विभाग में कोई नहीं है बताते चलें महिला खिलाड़ी पूजा निषाद ने नॉर्दन रेलवे सहित एनी रेलवे में स्पोर्ट्स कोटे के माध्यम से अप्लाई किया था। लेकिन सेलेक्टर ने यह कहकर मना कर दिया कि तुम महिला हो और तुम्हारी उम्र 25 वर्ष होने वाली है। पूजा निषाद आठ बहनों में सबसे बड़ी है घर की माली हालत बेहद नाजुक है उसने कई वर्षों से हॉकी खेल में अपना सर्वस्व न्योछावर किया। लेकिन चयनकर्ताओं की उपेक्षा की शिकार महिला खिलाड़ी स्पोर्ट्स कोटे की मानकों पर खरे उतरते हुए भर्ती की आस इसलिए लगाए हैं ताकि उसके परिवार का भरण पोषण व साथ ही सभी बहनों की शिक्षा को वह सुचारू रूप से जारी रख सकें।
उम्र की बात कहने वाले चयनकर्ता इस बात को भी भूल गए कि मैरीकॉम ने और पीटी ऊषा जैसे शानदार खिलाड़ियों ने 25 वर्ष की उम्र के बाद भी शानदार प्रदर्शन करके देश को गौरवान्वित करने का काम किया है।
चयनकर्ताओं के उपेक्षा के शिकार होने के कारण महिला खिलाड़ी बेहद तनाव में है महिला खिलाड़ी से जब युवा गौरव द्वारा बातचीत की गई महिला खिलाड़ी ने बताया मैंने अपनी सारी व्यथा संबंधित अधिकारियों को मेल व पत्र के माध्यम से बता चुकी हूं अब मेरे पास सिर्फ आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं है यदि ऐसे ही खिलाड़ी तनाव में आकर कोई गलत कदम उठा लेते हैं तो क्या इसकी जिम्मेवारी चयनकर्ताओं,केंद्र सरकार व खेल मंत्रालय लेगा।
No comments:
Post a Comment