विशेष संवाददाता: नेशनल आवाज़। "बाबाशिव -कांटीन्यू" फॉउंडेशन के चेयरमैन सर्वोत्तम तिवारी बोले, लोगों को भगवन्नाम जप, योग और आध्यात्म के साथ प्रकृति के नजदीक लाया वायरस ...
- भारतीय संस्कृति, सनातनी संस्कारों और आध्यात्म के क्षेत्र में कार्य करता है संगठन, BCF ...
कोविड -19 (कोरोना वायरस) ने आज देश-विदेश को हिलाकर रख दिया। इंसानी दुनियाँ को तबाह करने वाले कोरोना वायरस पर बोलते हुए शिव प्रेमी संघ, बाबाशिव कांटीन्यू फॉउंडेशन (BCF) के चेयरमैन सर्वोत्तम तिवारी ने कहा कि इस वक्त लगभग पूरा विश्व कोरोना वायरस नाम की महामारी से जंग लड़ रहा है। जोकि आज वैश्विक महामारी घोषित हो चुकी है। यह महामारी इतनी तेजी से फैल रही है कि मानो जिंदगियां अब थम सी गई हों। लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं, क्योंकि कहीं कोरोना वायरस उन्हें चपेट में न ले ले। बात अगर भारत की करें तो पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कहीं-कहीं तो कर्फ्यू जैसी स्थिति भी देखने को मिल रही थी। 21 दिन के लिए पूरे देश में लॉक डाउन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। जोकि अभी भी अलग अलग चरणों में क्रमशः लागू है। हर जुबां पर बस एक ही सवाल था आखिर कब तक ऐसा ही चलता रहेगा? इसका जवाब है कि आज कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी का इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रकृति के नजदीक पहुंचना और प्राकृतिक जड़ी बूटियां भी इस कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में कारगर साबित हो रही हैं। ये औषधियाँ प्राकृतिक हैं।
तो एक बार फिर अगर हम रुख करें वैदिक और पौराणिक काल की स्थितियों का, एक बार फिर से वैदिक और पौराणिक काल में की जाने वाली गतिविधियों से भी महामारी बने कोरोना वायरस पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं। बात अगर सतयुग की करें तो जब भगवान राम की सेना रावण से युद्ध लड़ रही थी, तब रावण के पुत्र मेघनाद द्वारा चलाये गए शक्ति बाण से जब लक्षमण जी मूर्छित हो गए थे। तब रावण के भाई विभीषण ने रावण के वैद्य सुषेण वैद्य को हनुमान जी द्वारा बुलवाकर उपाय पूछा था। तब सुषेण वैद्य द्वारा बताये अनुसार हनुमान जी द्रोणगिरि पर्वत ही उठा लाये थे, जिसपर संजीवनी बूटी लगी थी और लक्षमण जी के प्राण इसी बूटी ने बचा लिए थे।
उन्होंने कहा कि आज इन्हीं प्राकृतिक औषधियों, जड़ी बूटियों की बड़ी जरूरत है। कोरोना वायरस के संक्रमण में जहाँ वैज्ञानिकों की दवाइयां काम नहीं कर रही हैं, वहीं जड़ी बूटियों का काढ़ा या इनका सेवन कारगर सिद्ध हो रहा है। जिनके सेवन के लिए चिकित्सक भी परामर्श देते हैं। योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण इस वायरस में कारगर दवाइयां भी इन्हीं जड़ी बूटियों से बनाने का दावा करते हैं।
भगवन्नाम जप, नियमित दिनचर्या, योग और आध्यात्म के साथ जड़ी बूटियों का सेवन आज अधिकांश लोग करने लगे हैं। या यूं कहा जा सकता है कि प्रकृति के नजदीक लाने वाले इस वायरस के भय ने अधिकतर लोगों को प्रकृति प्रेमी बना दिया।
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